लेखक- क्षितिज खण्डेलवाल
नया साल मकर सक्रांति

लेखक- क्षितिज खण्डेलवाल
नया साल आ चुका है और उसका पहला त्योहार- ‘मकर सक्रांति’ भी आने वाला है। हम सभी इस दिन पतंगें उड़ाते हैं। साथ ही इस दिन हम दूसरों की पतंगें काटने का भी मज़ा लेते हैं। हर त्योहार की तरह यह त्योहार भी हम बहुत प्रसन्नता से मनाते हैं।
कुछ सालों से यह खबर सुनने को मिल रही है कि मांझे के कारण अनेक पक्षी घायल हो गए। यह हमारे पतंग उड़ाते समय हमारी लापरवाही का ही परिणाम है। हमें पतंग उड़ाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि बीच में कोई पक्षी तो नहीं आ रहा। हमारी छोटी सी लापरवाही एक पक्षी की जान तक ले सकती हैं !
कईं लोग चाइनीज़ मांझे का भी इस्तेमाल करते हैं, जो और भी ज्यादा खतरनाक है। उससे हमें भी बहुत नुकसान पहुँच सकता है। सरकार ने उस पर रोक लगा रखी है परंतु फिर भी कुछ लोग चुपके से इसका इस्तेमाल करते हैं जो कि बहुत गलत है। इसलिए हमें चाइनीज़ मांझे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
यदि कोई पक्षी घायल हो जाए, तो हमें उसे पशु-पक्षियों के अस्पताल ले जाना चाहिए या उसे प्राथमिक चिकित्सा देकर उसका ध्यान तब तक रखना चाहिए जब तक कि वह ठीक ना हो जाए। यह भी उसका जीवन बचा सकता है।
कई लोग और बच्चे मकर सक्रांति से पहले पूरे दिन तक पतंग उड़ाते रहते हैं यह सही नहीं है क्योंकि इससे उनका समय बहुत बर्बाद होता है। मैं उन्हें यह सुझाव देना चाहूंगा कि यदि वे सक्रांति से पहले किसी भी दिन पतंग उड़ाना चाहें, तो 2 घंटे से ज्यादा पतंग ना उड़ाएँ। और मैं यह सुझाव खासकर बच्चों को देना चाहूँगा क्योंकि यदि वे ज्यादा पतंग उड़ाते हैं, तो उनका पढ़ाई से ध्यान हटता चला जाता है और फिर वे परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त नहीं कर पाते।
आज अनेक लोगों को पतंगें उड़ाना बहुत अच्छा लगता है। पर कईं लोग सिर्फ दूसरों की पतंगें काटने का ही आनंद लेते हैं। और यदि उनकी खुद की पतंग कट जाती है तो वे निराश हो जाते हैं। यह सब ठीक नहीं है।
हम त्योहार किस लिए मनाते हैं ? खुशी, प्रसन्नता, आनंद, आदि के लिए। और यदि लोग इसी प्रकार पतंगों के लिए क्रोध, नफरत, घृणा, निराशा, बदले की भावना, आदि के शिकार हो जाएँ, तो यह त्योहार की सार्थकता को ही खत्म कर देगा।
त्योहार का अर्थ ही खुशी, उल्लास और प्रसन्नता है। तो हमें त्योहार की सार्थकता को खत्म नहीं करना चाहिए। और हमें इस त्यौहार को आनंद पूर्वक मनाना चाहिए।
मकर सक्रांति का त्योहार जल्द ही आ रहा है। तो हमें इस त्योहार से संबंधित उपर्युक्त चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
यदि हम इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो इससे पक्षियों की जान बच सकती है और हमारा समय बर्बाद होने से बच सकता है। साथ ही यदि हम इस त्योहार पर खुशियाँ मनाएँ और निराशा, क्रोध आदि के शिकार न बने, तो यह त्योहार हमारे लिए बहुत आनंदमयी सिद्ध हो सकता है। आशा है की आप मेरे विचारों से सहमत होंगे।
धन्यवाद
मकर सक्रांति की ढेर सारी शुभकामनाएँ !
लेखक- क्षितिज खण्डेलवाल
उम्र- 12
कक्षा- 7
नया साल मकर सक्रांति
