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रिटायरमेंट पर प्राप्त लीव एनकैशमेंट

लेखक : CA अजय खंडेलवाल

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बड़ी संख्या में नए रिटायर कर्मचारियों के मन में लीव एनकैशमेंट की आयकर की छूट को लेकर एक बड़ा भ्रम बना हुआ है। हर कोई सेवानिवृत्ति पर प्राप्त लीव एनकैशमेंट पर आयकर की पूर्ण छूट का दावा करना चाहता है।

वास्तव में, रिटायरमेंट पर प्राप्त लीव एनकैशमेंट की छूट आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (10AA) द्वारा शासित है, जिसका प्रासंगिक हिस्सा नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है:

“10. किसी व्यक्ति की किसी पूर्ववर्ष की कुल आय संगणित करने में निम्नलिखित खंडों में से किसी में आने वाली कोर्इ आय सम्मिलित नहीं की जाएगी–

(10AA)(i)कोर्इ ऐसा भुगतान, जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति चाहे अधिवर्षिता पर या अन्यथा के समय उसके खाते में जमा अर्जित छुट्टी की अवधि के संबंध में छुट्टी वेतन के समतुल्य नकद के रूप में प्राप्त किया गया हो;

(ii) उपखंड (i)में उल्लिखित प्रकृति का कोर्इ ऐसा संदाय(पेमेंट) जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के कर्मचारी से भिन्न किसी कर्मचारी को चाहे अधिवर्षिता पर या अन्यथा उसके रिटायर होने के समय उसके खाते में जमा अर्जित छुट्टी की दस मास से अनधिक अवधि के संबंध में प्राप्त किया गया हो, उस कर्मचारी द्वारा अपनी चाहे अधिवर्षिता पर या अन्यथा अपनी रिटायरमेंट के ठीक पहले दस माह की अवधि के दौरान लिए गए औसत वेतन के आधार पर ऐसी सीमा के अध्यधीन परिकलित किया गया हो, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, उस सरकार के कर्मचारियों को इस संबंध में लागू सीमा को ध्यान में रखते हुए, इस बाबत विनिर्दिष्ट करे

इस प्रकार, यह बहुत स्पष्ट है कि रिटायरमेंट पर प्राप्त लीव एनकैशमेंट का भुगतान केवल सरकारी कर्मचारियों (केंद्रीय / राज्य सरकार) के मामले में पूरी तरह से कर-मुक्त है। दूसरों के लिए, छूट केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित सीमा तक ही सीमित है। वर्तमान सीमा रु. 3,00,000/- निर्धारित है जो कि     गजट नोटिफिकेशन संख्या S.O. 588 (E), (दिनांक 31 मई, 2002) के द्वारा 01.04.1998 को या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए लागू है। इस सीमा को 24.05.2023 को जारी गजट  नोटिफिकेशन संख्या 31/2023/F. No. 200/3/2023-ITA-Iद्वारा रु. 3,00,000/- से बढाकर रु. 25,00,000/- कर दिया गया है, पर ये केवल उन कर्मचारियों पर लागू होगा जो  31.03.2023 के बाद रिटायर हुए हैं। इसलिए गैर-सरकारी कर्मचारी पूरे लीव  एनकैशमेंट की छूट नहीं ले सकते हैं, वे केवल रु 300000/- (01.04.23 से रु 2500000) तक की छूट ले सकते है, बाकी पर उन्हें टैक्स देना पड़ेगा।

उक्त नियम में संशोधन 01.04.23 से लागू किया गया है। अगर सरकार का उक्त 300000 की सीमा को पुराने सालों से बढ़ाने का इरादा होता तो इस नोटिफिकेशन में साफ़-साफ़ लिख दिया होता|
एक बड़ा भ्रम है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम(PSU) के कर्मचारी सरकारी कर्मचारी हैं या नहीं। सरकारी विभागों के कर्मचारी ही सरकारी कर्मचारी हैं, PSU के कर्मचारी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं । सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रम(PSU) या सरकारी कंपनी में काफी अंतर है। कर्मचारी विभाग पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व और सरकार द्वारा प्रबंधित हैं और आमतौर पर किसी ना  किसी  मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आते हैं। उदाहरण के लिए आयकर विभाग, पुलिस विभाग, विभाग केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग, GST विभाग, डाक विभाग, रक्षा विभाग, सरकारी स्कूल और कॉलेज इत्यादि, जबकि PSU या सरकारी कंपनी, कंपनी अधिनियम के तहत निगमित एक कंपनी को संदर्भित करती है और जिसमें 51% या अधिक प्रदत्त पूंजी सरकार के पास होती है। उदाहरण के लिए, कोल इंडिया लिमिटेड, HPCL, BPCL, ONGC, SAIL, BHEL, राष्ट्रीयकृत बैंक, आदि । PSU के कर्मचारी उन सभी सुविधाओं का आनंद नहीं ले सकते हैं जो सरकारी कर्मचारी लेते हैं। उदाहरण के लिए: RSEB (राजस्थान राज्य विद्युत बोर्ड) एक सरकारी विभाग था और उसके कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी कहा जाता था। लेकिन, जब इसे राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) में परिवर्तित किया गया, तो यह सरकारी विभाग नहीं रह गया, PSU बन गया। इसलिए, इसके कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी नहीं कहा जा सकता है। BSNL के मामले में भी ऐसा ही है।
 अब, अगर गैर- सरकारी कर्मचारी ने लीव एनकैशमेंट की पूरी छूट ले ली है, तो क्या हो सकता है। सबसे पहले, हमें देखना चाहिए कि क्या फॉर्म 16 में, लीव एनकैशमेंट की छूट 3,00,000/- ही दिखाई गई है। इसलिए, इस मामले में, यदि ITR में पूर्ण छूट का दावा किया जाता है, तो ITR फॉर्म 16 के साथ बेमेल(mismatch) हो जाएगा। चूंकि, फॉर्म 16 ऑनलाइन और आयकर विभाग की वेबसाइट से जनरेट किया गया है, फॉर्म 16 में भरे गए आंकड़ों की आयकर विभाग को पूरी जानकारी है, वे आसानी से जान सकते हैं कि आय की गलत सूचना दी गई है। हालाँकि, कुछ लोगों को पूरा रिफंड मिल सकता है, क्योंकि, आयकर में स्व-मूल्यांकन (self-assessment) की प्रणाली है और ITR को निर्धारिती की स्व-घोषणा (self-declaration) के आधार पर संसाधित (assessment) किया जाता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि ITR के प्रोसेसिंग होने और असेसमेंट आर्डर तथा रिफंड प्राप्त करने पर, निर्धारिती मुक्त हो गया है। रिफंड प्राप्त करने के बाद भी निर्धारिती को आयकर विभाग से भविष्य में नोटिस मिल सकता है। 
आय की कम रिपोर्टिंग के लिए जुर्माना 
यहाँ पूर्ण-छूट लेने का मतलब है मिथ्या  रिपोर्टिंग द्वारा अंडर-रिपोर्टिंग करना और इसका जुर्माना आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 270A के अनुसार कम रिपोर्ट की गई आय पर देय कर की राशि का 200% होगा। उदाहरण के लिए: यदि कर योग्य आय रु 30,00,000/- थी, रु 10,00,000/- लीव एनकैशमेंट की पूर्ण छूट का दावा करने के बाद। इससे निर्धारिती ने रु 218,400/-  बचाये। लेकिन, अगर भविष्य में नोटिस आता है, तो उसे न केवल बचाए गए कर रु 218,400/-  का भुगतान करना होगा, लेकिन जुर्माना रु 436800/- भी देना पड़ेगा और वह भी असेसमेंट की तारीख तक की अवधि तक के ब्याज के साथ। कृपया नीचे दी गयी टेबल को देखें :
 लीव एनकैशमेंट की पूर्ण छूट 1000000/- का दावा किया लीव एनकैशमेंट की 300000/- छूट का दावा किया 
लीव एनकैशमेंट पर टैक्स बचाया312000/-93600/-
अंडर-रिपोर्टेड आय700000/-NIL
नोटिस प्राप्त होने पर देय कर218400/-NIL
टैक्स पर देय ब्याजनोटिस की तारीख पर निर्भरNIL
धारा 270A  के अंतर्गत पेनल्टी436800/-NIL
टेंशनफुलNIL
 इसके अलावा, अगर यह आयकर विभाग द्वारा जान-बूझकर कर-चोरी का मामला माना जाता है तो    निर्धारिती को 3 महीने से लेकर   2 साल तक  के लिए कठोर कारावास और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 276C के अंतर्गत एक अलग जुर्माने के साथ दंडित किया जा सकता है।
इसलिए, सार्वजनिक हित में, सेवानिवृत्त लोगों को सुझाव दिया जाता है कि दूसरों से गुमराह नहीं होवें। सेवानिवृत्ति के समय एक बड़ी राशि पहले से ही प्राप्त हो चुकी है और उन्हें, यह जानते हुए कि यह गलत है, एक छोटी राशि को बचाने के लिए प्रयास नहीं चाहिए। सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन शांतिपूर्ण, खुश और तनाव-मुक्त रहने का जीवन होनी चाहिए।
 
Disclaimer: उपरोक्त पोस्ट आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (10AA) के दायरे और निहितार्थ को साझा करने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि इस दस्तावेज़ में त्रुटियों या चूक से बचने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है, फिर भी कोई त्रुटि या चूक या कमी हो सकती है इसलिए, यह सूचित किया गया है कि मैं किसी भी तरह से, किसी भी तरह के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हूं। उपरोक्त पोस्ट के संबंध में किसी भी तरह की राय या व्याख्या के कारण किसी भी मामले में किसी भी नुकसान या क्षति के लिए मैं भी उत्तरदायी या जिम्मेदार नहीं होऊंगा । इसके विपरीत यह सुझाव दिया जाता है कि किसी भी संदेह से बचने के लिए उपयोगकर्ता को सही कानून और अधिसूचित / राजपत्रित सामग्रियों के साथ सामग्री की जांच करनी चाहिए।